
‘ज़ीका’ के जंजाल में प्रदेश…!
राजस्थान में अब तक 32 रोगियों की पहचान
अभी तक जहां मौसमी बीमारियों ने ही परेशान कर रखा था, वहीं अब स्क्रब टायफस से हो रही मौतें और जीका वायरस के केसों ने चिकित्सा विभाग के साथ आमजन में एक देहशत का माहौल पैदा कर दिया है। प्रदेश में पहली बार ‘जीका’ वायरस के एक के बाद एक लगातार 32 केस सामने आने के बाद राज्यभर के लोगों में एक भय से बैठ गया है। लेकिन बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि प्रदेश में जीका वायरस लोगो में आखिर कैसे पहुंचा और इस वायरस से सम्बन्धी कितने मरीज बढ़ सकते हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक संभव है कि अभी प्रदेश में जीका वायरस के और भी केस सामने आ सकते हैं। चिकित्सा विभाग इस बात की भी जांच करने में लगा है कि आखिर राजस्थान में जीका वायरस कहां से आया। लेकिन प्रदेश में हर साल बढ़ रही बीमारियों की वजह, जिम्मेदार कौन और कैसे इन पर लगाम लगाई जा सकती है। इस मामले में चिकित्सा विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक सुझाव में लगे हुए है कि आखिर हम इन खतरनाक बीमारियों से कैसे अपने आप व अपने देशवासियों को सुरक्षित रख सकते हैं।
राज्य सरकार ने दिये महत्वपूर्ण निर्देश:-
प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को राज्य सरकार द्वारा महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिये जा चुके हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा भेजे गए केंद्रीय दल के साथ रोकथाम के लिए आवश्यक गतिविधियां व प्रचार-प्रसार के जरिए भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। जिला प्रशासन, जयपुर नगर निगम और महिला एवं बाल विकास विभाग की मदद से प्रभावित क्षेत्र में आमजन को जीका वायरस से बचाव व रोकथाम के प्रति जागरूक किया जा रहा है साथ ही अपने स्वास्थ्य को लेकर भी ध्यान देने की बात की बात की जा रही है।
प्रभावित क्षेत्रों में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के लगभग 170 दल कार्य कर रहे हैं।
पाॅजिटिव मामलों को क्रास वेरीफाई करने के लिए विशेष दल बनाये गये हैं।
हीराबाग प्रशिक्षण केन्द्र में सिर्फ जीका से ग्रस्त रोगियों के लिए एक विशेष आईसोलेशन वार्ड बनाया गया है।
प्रभावित क्षेत्र को 8 जोनों में विभाजित किया गया साथ ही एसडीओ, एसीएम, सीडीपीओ, डॉक्टर, वीबीडी सलाहकार, पीएसएम विभाग के डॉक्टरों कोे अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गयी हैं।
राजकीय और निजी डॉक्टर, विशेष रूप से स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ और एमओ के साथ 8.10.2018 को कांवटिया अस्पताल में जीका वायरस रोग के बारे में सीएमई आयोजित की गयी।
आमजन में जागरूकता पैदा करने के लिए प्रचार-प्रसार अभियान संचालित किया जा रहा है। रेडियो एफएम जिंगल्स और टीवी विजुअल के साथ-साथ सोशल मीडिया पर जागरूकता अभियान संचालित किया जा रहा है।
मच्छर के काटने से फैलता है जीका वायरस-
लक्षण:- एडीज एजिप्टाई मच्छर के काटने से जीका वायरस फैलता है। कई दिन तक तेज सर्दी के साथ बुखार होगा। सिरदर्द, आंखें लाल होना, जोड़ों व मांसपेशियों में दर्द, शरीर पर लाल चकते, खुजली, हाथ-पैर में सूजन प्रमुख लक्षण हैं। एसएमएस मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायलोजी विभाग के प्रोफेसर डॉ.रमेश मिश्रा का कहना है कि जीका में कई बार लक्षण नहीं दिखते है। बीमारी बढ़ने पर न्यूरोलॉजिकल और ऑर्गन फेलियर हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान नवजात में न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर और ब्रेन डेमेज तक हो सकता है।
बचाव:- जीका वायरस से बचाव के लिए मच्छरों की रोकथाम आवश्यक है। विशेष रूप से घर में अथवा अन्य स्थलों पर रुके हुए साफ पानी को हटा दे। क्यांेकि एडीज मच्छर की साफ व रूके हुए पानी में पनपने की संभावना बना रहती है। इसलिए रुके हुए पानी को जरा भी अपने आस-पास पनपने न दे। और यही एक अच्छा सुझाव भी है बीमारियों से बचने के लिए कि अपने आस-पास मच्छरों को बिल्कुल भी भटकने ने दें। साथ ही मच्छरों को शरीर पर काटनें न दें।